दिवाली की परिभाषा और तथ्य,महत्व|Diwali definition and facts, significance

दीपावली, भारत में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है, जिसे आमतौर पर “दीवाली” के नाम से भी जाना जाता है. इस त्योहार का अर्थ होता है “दीपों की पंक्ति” और यह पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। दीपावली के मनाने के पीछे कई मान्यताएँ और महत्वपूर्ण तात्त्विक अर्थ होते हैं।

यहां कुछ दीपावली के रोचक तथ्य हैं:

  1. दीपावली के मनाने का प्राचीन परंपरागत रूप है, और यह प्रतिवर्ष हिन्दू पंचांग के अनुसार मनाया जाता है।
  2. इस त्योहार को विभिन्न भागों में विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है, जैसे कि उत्तर भारत में इसे रामलीला के रूप में जाना जाता है, जबकि दक्षिण भारत में इसे महालक्ष्मी पूजा के रूप में मनाया जाता है।
  3. दीपावली के मौखिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीराम अयोध्या वापस आए थे, जिसके समर्थन में लोग अपने घरों को दीपों से सजाते हैं।
  4. इसे विजयादशमी के दिन के बाद अगले दिन मनाया जाता है और इसकी तैयारियां कई दिन पहले ही शुरू होती हैं।
  5. इसे धनतेरस, चोटी दीवाली, महालक्ष्मी पूजा, गोवर्धन पूजा, भईदूज आदि उपत्यका त्योहारों के साथ मनाया जाता है।
  6. दीपावली के इस अवसर पर लोग अपने घरों को दीपों, रंगों, और उपहारों से सजाते हैं, और विभिन्न प्रकार के सात्विक और व्यायामिक खाने पीने का आनंद लेते हैं।
  7. दीपावली के दिन लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर खुशियों का त्योहार मनाते हैं और आपसी मोहभंग को दूर करते हैं।
  8. यह त्योहार विभिन्न धर्मों और समुदायों में भी मनाया जाता है, और इसका माहौल खुशी, समर्पण, और सांझा करने का होता है।
  9. दीपावली के दिन लोग दान-पुण्य करने के भी लिए प्रेरित होते हैं और गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करते हैं।
  10. दीपावली का यह त्योहार रोशनी, खुशी, और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, और यह समाज में समर्पण और एकता की भावना को बढ़ावा देता है।

 

दीपावली का महत्व:

  1. सत्य की जीत: दीपावली के महत्व का एक प्रमुख हिस्सा है “सत्य की जीत” की कथा, जिसमें भगवान राम ने अपने पत्नी सीता को लंका से मुक्ति दिलाने के लिए राक्षस राजा रावण को पराजित किया। इस कथा का महत्व दीपावली के मनाने में बहुत अधिक है और यह इस त्योहार की एक महत्वपूर्ण धार्मिक कथा है।यह कथा वाल्मीकि की ‘रामायण’ महाकाव्य में मिलती है, जिसमें भगवान राम के अयोध्या वापस लौटने और अपनी पत्नी सीता को वापस पाने की कथा है।कथा के अनुसार, भगवान राम, उनके भ्राता लक्ष्मण और भक्त हनुमान के साथ, अयोध्या की दिक्षा वनवास में गुजार रहे थे। उनकी पत्नी सीता को लंका के राक्षस राजा रावण ने अपहरण कर लिया था। भगवान राम ने अपनी पत्नी को वापस पाने के लिए वीर और साहसी भाव से लंका की ओर अग्रसर किया। उन्होंने रावण के साथ युद्ध किया और उसे मार दिया।
    इस युद्ध के परिणामस्वरूप, सत्य और धर्म ने जीत हासिल की और बुराई और अधर्म को पराजित किया। इस विजय का संदेश है कि हमें सदैव सत्य की प्रतिष्ठा करनी चाहिए और धर्मिक मार्ग पर चलना चाहिए।इस कथा का महत्व है क्योंकि वह सत्य, धर्म, और न्याय के मूल्यों को प्रमोट करती है और बुराई और अधर्म के खिलाफ खड़ी होने की महत्वपूर्ण धार्मिक शिक्षा देती है। इसलिए दीपावली का यह महत्व समाज में नैतिकता, सत्यनिष्ठा, और आदर्शता के प्रतीक के रूप में माना जाता है।
  2. माँ लक्ष्मी की आगमन: दीपावली के दिन माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जिसका महत्व है क्योंकि लक्ष्मी धन, समृद्धि, और धन की देवी मानी जाती है. लोग अपने घरों को सजाकर और उपहार देकर माँ लक्ष्मी का स्वागत करते हैं, जिससे वित्तीय समृद्धि की प्राप्ति होती है.माँ लक्ष्मी की आगमन के महत्व को समझने के लिए हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं में दीपावली के दिन माँ लक्ष्मी के आगमन के बारे में कथा दी गई है, जिसे “लक्ष्मी पूजन” भी कहा जाता है। यह कथा मनुष्यों को धन, समृद्धि, और खुशियों की प्राप्ति के लिए माँ लक्ष्मी की आराधना करने की महत्वपूर्ण धार्मिक क्रिया को दर्शाती है।कथा के अनुसार, दीपावली के दिन दिल्ली के राजा महराजा बलिपुर्षोत्तम नामक एक धनी व्यापारी श्रीधन्धण नामक व्यक्ति के घर में महालक्ष्मी माँ के आगमन के लिए धन्यवाद दर्शाने के लिए पहुंचते हैं।उन्होंने अपने घर को सजाने, दीपक जलाए, और माँ लक्ष्मी का स्वागत किया।उस दिन व्यक्ति अपने घर को अत्यंत सजाकर उसमें दीपक जलाकर खुशियों के साथ माँ लक्ष्मी का स्वागत करते हैं, जिसका मतलब होता है कि वे उसके आगमन की प्रतीक्षा में हैं। उन्हें धन की देवी माना जाता है, और वे धन, समृद्धि, और सुख-शांति की देवी हैं।


    माँ लक्ष्मी के आगमन के बारे में यह कथा बताती है कि अगर कोई व्यक्ति अपने घर को सफाई रखता है, सजाकर रखता है, और धार्मिकता का पालन करता है, तो माँ लक्ष्मी उसके घर में आती है और उसे धन और समृद्धि की आशीर्वाद प्रदान करती हैं।इसके अलावा, व्यक्ति लक्ष्मी पूजा के दिन धन्यवाद दर्शाते हैं और विभिन्न प्रकार के धन, सोना, चांदी, और अन्य वस्त्रों की पूजा करते हैं, जिससे माँ लक्ष्मी का आगमन और धन की प्राप्ति होती है।इस तरह, दीपावली के महत्व में माँ लक्ष्मी की आगमन का विशेष महत्व होता है, और यह धन, समृद्धि, और खुशियों की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक क्रिया है।

  3. असत्य और अज्ञान के खिलाफ प्रकाश: दीपावली में लोग अपने घरों को दीपों से सजाते हैं, जिससे अंधकार को दूर किया जाता है. यह एक प्रकाश का प्रतीक है और असत्य और अज्ञान के खिलाफ ज्ञान और सत्य की प्रतिष्ठा करता है.दीपावली, जिसे दिवाली भी कहा जाता है, भारत में मनाई जाने वाली एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है जो असत्य और अज्ञान के खिलाफ प्रकाश की प्रतीक है। यह त्योहार आधिकारिक रूप से पूरे देश भर में मनाया जाता है और इसके महत्व को विभिन्न कथाओं, धार्मिक मान्यताओं और रितुओं के माध्यम से प्रकट किया जाता है।दीपावली का मुख्य आयोजन अकेले दिन के नहीं होता, बल्कि यह पांच दिनों तक चलता है, जिनमें हर दिन को विशेष रूप से मनाया जाता है:
    1. पहला दिन (धनतेरस): यह दिन धन और संपत्ति की पूजा किया जाता है। लोग अपने घरों को सजाते हैं और धन के साथ समृद्धि की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए धन्यवाद अर्चना करते हैं।
    2. दूसरा दिन (छोटी दीवाली): इस दिन को छोटी दीवाली भी कहते हैं और इसे काली पूजा के रूप में मनाते हैं। काली माता की पूजा करके लोग बुराई और अज्ञान के प्रति संकल्प लेते हैं।
    3. तीसरा दिन (मुख्य दीवाली): यह दीपावली का मुख्य दिन होता है और इसे अमावस्या के दिन मनाया जाता है। लोग अपने घरों को दीपों और मिश्री के उपहारों से सजाते हैं। यह प्रकाश का पर्व होता है, और दीपों को जलाकर घर की खिड़कियों और द्वारों को प्रकाशित किया जाता है, जिसका मतलब होता है कि अज्ञान और अंधकार को दूर भगाया जा रहा है।
    4. चौथा दिन (गोवर्धन पूजा): इस दिन गोवर्धन पर्व मनाया जाता है, जिसमें गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। इसे प्राकृतिक संरक्षण के प्रतीक के रूप में माना जाता है और लोग प्राकृतिक संसाधनों की महत्वपूर्णता को समझते हैं।
    5. पांचवा दिन (भई दूज): इस दिन बहन और भाइ के प्यार का प्रतीक दिया जाता है। बहन अपने भाइ के लिए आशीर्वाद प्रदान करती है और भाइ उन्हें उपहार देते हैं।

    इस रूप में, दीपावली असत्य और अज्ञान के खिलाफ प्रकाश का पर्व है जिसमें लोग बुराई को हराने और ज्ञान को प्रकट करने का संकल्प लेते हैं। इसे खुशी, उत्सव, और एकता के रूप में मनाया जाता है और लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ इसे खुशी-खुशी मनाते हैं।

  4. परिवार का महत्व: दीपावली, जिसे दिवाली भी कहा जाता है, परिवार का महत्व को महत्वपूर्ण रूप से मान्यता है और इसे परिवार के साथ मनाने का एक विशेष अवसर माना जाता है। यह त्योहार एक परिवार के सदस्यों के बीच आपसी समरसता, प्यार, और सदयता का प्रतीक है।
    1. घर की सजावट: दीपावली से पहले, घरों को सजाने और सजाने का प्रिय काम होता है। परिवार के सदस्य एक साथ मिलकर अपने घर को सजाने और उसे सुंदरता से देखभाल करते हैं। घर को सजाने का महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि यह आत्मा की शुद्धि का प्रतीक माना जाता है।
    2. दीपों का प्रकाशन: दीपावली के दिन, घर के सभी सदस्य दीपों को जलाते हैं और घर को रोशन करते हैं। दीपों का प्रकाशन उस आत्मा के प्रति प्यार और आदर का प्रतीक है जो परिवार के सदस्य एक-दूसरे के साथ रखते हैं।
    3. आपसी मिलनसर: दीपावली के दौरान, परिवार के सदस्य अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलकर खुशियाँ बांटते हैं. यह समय होता है जब दूर रहने वाले परिवार के सदस्य एक-दूसरे से मिलते हैं और आपसी सजीवता बढ़ाते हैं।
    4. भोजन का साझा करना: दीपावली के मौके पर, परिवार के सदस्य आपसी साजा किया गया भोजन साझा करते हैं।
    5. . इसमें स्वादिष्ट खाने का आनंद लेने के साथ-साथ, आपसी सदयता और साजीवता का आनंद भी होता है।
    6. धार्मिक अर्थ: दीपावली धार्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, जिसमें परिवार के सदस्य धार्मिक क्रियाओं में भाग लेते हैं, पूजा का आयोजन करते हैं और धार्मिक विचारों का साझा करते हैं।

    सम्ग्र रूप में, दीपावली परिवार के महत्व को महत्वपूर्ण रूप से प्रमोट करता है और लोगों को एक-दूसरे के साथ समरसता, प्यार और सदयता का महत्व याद दिलाता है। यह त्योहार परिवारों के बीच सजीवता को बढ़ावा देने वाला महत्वपूर्ण दिन होता है और एक खुशहाल और सामृद्ध परिवार की शुभकामनाओं के साथ मनाया जाता है।

  5. सांझा करने की भावना: दीपावली, जिसे दिवाली भी कहा जाता है, एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है जो सांझा करने की भावना को महत्वपूर्ण रूप से मान्यता है। इस त्योहार के दौरान, लोग अपने प्यारे और प्रियजनों के साथ समय बिताते हैं और खुशियों का सांझा करते हैं।
    1. परिवार के साथ: दीपावली के दिन, परिवार के सदस्य एक साथ मिलकर खुशियों का सांझा करते हैं। घर के सभी लोग एक साथ बैठकर पूजा करते हैं, दीपों को जलाते हैं और भोजन का आनंद लेते हैं। यह एक परिवार के सदस्यों के बीच साजीवता का समय होता है।
    2. दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ: दीपावली के मौके पर, लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ खुशियों का सांझा करते हैं।वे आपसी समरसता, प्यार, और आपसी संबंधों को मजबूती से बढ़ाते हैं।
      3. आपसी सजा: दीपावली के मौके पर, परिवार और दोस्त एक-दूसरे के साथ खुशियों का सांझा करते हैं और आपसी सजा किया जाता है. इसमें आपसी प्यार       और सदयता का प्रतीक होता है।
      4. उपहारों का आदान-प्रदान: दीपावली के दौरान, लोग अपने प्यारे और प्रियजनों को उपहार देते हैं और उपहार लेते हैं. यह एक अद्वितीय तरीका होता है          खुशियों का सांझा करने का और एक-दूसरे के साथ प्यार और आदर का प्रतीक होता है।

    इस तरह से, दीपावली एक ऐसा त्योहार है जो सांझा करने की भावना को महत्वपूर्ण रूप से मान्यता है और लोगों को उनके प्रियजनों के साथ समय बिताने और खुशियों का सांझा करने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह एक खुशहाल और सजीव वातावरण में त्योहार का महत्व होता है, जो लोगों के बीच प्यार और सामृद्धि की भावना को बढ़ावा देता है।

  6. धर्मिक और सामाजिक एकता: दीपावली या दिवाली, एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जो धर्मिक और सामाजिक एकता को महत्वपूर्ण रूप से प्रमोट करता है। इस त्योहार के दौरान, धर्मिक और सामाजिक साजीवता को बढ़ावा दिया जाता है, और लोग एक-दूसरे के साथ खुशियों का सांझा करते हैं।
    1. धार्मिक एकता: दीपावली हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण त्योहार है और इसे धर्मिक एकता के रूप में मनाया जाता है. इसे विभिन्न क्षेत्रों में विशेष धार्मिक पूजाओं और अध्यात्मिक आयोजनों के साथ मनाया जाता है, और लोग आपसी सादगी और समरसता की भावना को महत्वपूर्ण मानते हैं।
    2. सामाजिक एकता: दीपावली एक सामाजिक एकता के प्रतीक के रूप में भी मनाया जाता है. इस दिन, लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताते हैं, खुशियों का सांझा करते हैं और आपसी प्यार और सहानुभूति का प्रतीक दिखाते हैं।
    3. सामाजिक सेवा: दीपावली के मौके पर, लोग सामाजिक सेवा के लिए अपने समय और संसाधनों का दान करते हैं. यह एक अद्वितीय तरीका होता है सामाजिक एकता को मजबूती से प्रमोट करने का।
    4. आपसी सहानुभूति: दीपावली के मौके पर, लोग दरिद्रों और जरूरतमंदों की मदद करने के लिए साझा करने का आलंब बढ़ाते हैं। इससे सामाजिक सहानुभूति की भावना को मजबूती से प्रमोट किया जाता है।

    इस तरह से, दीपावली हिन्दू समाज में धर्मिक और सामाजिक एकता की महत्वपूर्ण भावना को प्रमोट करता है, और लोगों को एक-दूसरे के साथ प्यार, समरसता, और सदयता का महत्व याद दिलाता है। यह एक ऐसा त्योहार है जो धर्मिक और सामाजिक साजीवता की महत्वपूर्ण भावनाओं को आगे बढ़ाता है और समाज में सामाजिक समरसता को बढ़ावा देता है।

  7. दान और सेवा: दीपावली (दिवाली) त्योहार के दौरान दान और सेवा की भावना को महत्वपूर्ण रूप से प्रमोट किया जाता है। यह एक समय होता है जब लोग दरिद्र और गरीब वर्ग की मदद करने, और दान करके और सेवा करके, उनके साथ साझा करते हैं। इसके साथ ही, धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं के अनुसार, यह भी दिवाली के भाग्य को बढ़ाने में मदद करता है।
    1. धर्मिक दान: दीपावली के दौरान, लोग अल्पसंख्यकों, दरिद्रों, और जरूरतमंद लोगों के लिए भोजन, वस्त्र, धन, और अन्य सामग्री देते हैं। धर्मिक दान का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है और लोग अपने संपत्ति का एक छोटा सा हिस्सा गरीबों के साथ साझा करते हैं।
    2. सेवा भावना: दीपावली के दिन, लोग अपने समाज और समुदाय के सदस्यों की सेवा करने की भावना को मजबूती से महसूस करते हैं. इसमें वृद्धाश्रमों, अस्पतालों, बाल आश्रमों, और अन्य सामाजिक संगठनों में सेवा करने का समय होता है।
    3. सामाजिक उपहार: दीपावली के मौके पर, लोग अपने प्यारे और प्रियजनों को उपहार देते हैं, जिसमें उनके साथ सेवा करने का आशीर्वाद भी शामिल होता है।
    4. वनवास यात्रा: दीपावली के दिन कुछ लोग वनवास यात्रा पर जाते हैं, जिसमें वे गंगा नदी के किनारे जाकर स्नान करते हैं और अपने पूजा के अद्वितीय रूपों का आयोजन करते हैं।

    इस तरह से, दीपावली दान और सेवा की भावना को महत्वपूर्ण रूप से प्रमोट करने का एक सुंदर उपाय है जिसमें लोग धार्मिक और सामाजिक जीवन के मूल्यों को अपनाते हैं और अपने समाज के सदस्यों के साथ प्यार और सहानुभूति का सांझा करते हैं. यह एकता, मानवता, और धर्मिकता की भावना को बढ़ावा देता है और लोगों के बीच गहरे संबंधों की बढ़ती महत्वपूर्णता को दिखाता है।

    इन सभी कारणों से, दीपावली भारतीय समाज में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो सत्य, प्रकाश, और समृद्धि की प्रतीक है और सामाजिक और धार्मिक महत्व के साथ       मनाया जाता है।

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